जान जोखिम में डालकर करते हैं विद्यार्थी अपनी पढ़ाई
जान जोखिम में डालकर करते हैं विद्यार्थी अपनी पढ़ाई
– बरसात का मौसम है और तेज बारिश के बाद नदी नाले उफान पर हैं तो इन्हें पार कर स्कूल पहुंचते हैं छात्र
शिक्षा फोकस, पंचकूला। जान जोखिम में डालकर देश का भविष्य स्कूली छात्र पढ़ाई करने के लिए स्कूल पहुंचते हैं। जैसा कि तस्वीरों में दिख रहा है कि नदी में पानी के तेज बहाव के बीच स्कूली छात्र-छात्राएं जान जोखिम में डालकर नदी को पार कर रहे हैं। यह नजारा पंचकूला के हिल स्टेशन मोरनी का है। मोरनी पंचकूला ही नहीं हरियाणा का प्रमुख पर्यटन स्थल है। लेकिन यहां असुविधाओं का अभाव है और इसका खामियाजा स्थानीय लोगों को झेलना पड़ रहा है।
इन दिनों बरसात का मौसम है और तेज बारिश के बाद नदी नाले उफान पर हैं। क्षेत्र में मौजूदा प्रदेश सरकार द्वारा दो बड़े पुल बनवाने के बावजूद भी कई गांवों में ग्रामीणों व स्कूली छात्रों को जान जोखिम में डालकर उफनती नदियां को पार करना पड़ रहा है। क्योंकि इन नदी नालों पर कोई पुल ही नहीं है। इसलिए बच्चों को जान हथेली पर रख इन्हें पार करना पड़ता है।
सुबह हुई तेज बरसात के बाद क्षेत्र की नाले और नदियों में पानी इस कदर बढ़ गया था कि इन्हें पार कर पाना छोटे से लेकर बड़े व्यक्ति के लिए भी मुश्किल भरा था। बावजूद स्कूल पहुंचने के लिए स्कूली छात्रों को उफनती नदी को जान जोखिम में डालकर पार करना पड़ा। मोरनी खंड की कुदाना पंचायत के गांव बाबड़वाली, मराड़, मथाना व बागवाली से स्कूल जाने के लिए सुबह बच्चों को नदी पार करवाने के लिए उनके अभिभावक साथ आए हुए थे।
पहले ग्रामीण लाठी से नापता है गहराई, फिर बच्चों को पार करवाते हैं नदी
स्कूली छात्र- छात्राएं एक दूसरे का हाथ पकड़ कर नदी पार करते दिखाई दिए। एक ग्रामीण पहले लाठी से नदी की गहराई का अंदाजा लगाता है और उसके बाद उसके मापे गए रास्ते पर लाइन बनाकर स्कूली छात्र एक-दूसरे का हाथ पकड़कर नदी पार करते हैं। ग्रामीणों व स्कूली छात्र यहां बड़ा पुल न बनने की स्थिति में बारिश के दिनों में उफनती नदी को पार करने के कलिए पुलिया या लोहे का ब्रिज बनवाने की मांग कर रहे हैं। बावजूद मोरनी व पंचकूला से यह गांव दूर होने, वोट बैंक की कमी, राजनीतिक व प्रशासनिक इच्छाशक्ति के अभाव में यहां जान जोखिम में डालकर बरसात के दिनों में भी पानी से भरी नदियां को पार करने का सिलसिला जारी है।
गांव वालों के लिए बरसात में आफत बन जाती है नदी
ग्रामीण बिंटू पंडित कुदाना, हरबंश मऊ, कमल शर्मा, राम दत्त, धर्मपाल, केशो राम मराड़, अशोक, नरेश कुमार, रामदत्त, सतपाल, धनीराम व ओम प्रकाश आदि ने बताया कि मंगलवार को हुई तेज बारिश के बाद शाम 5 बजे तक अभिभावकों को उनके बच्चों को नदी पार करवाने के लिए इंतजार करना पड़ा। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के बालदवाला के गांवों के लिए भी नदी आफत बनी हुई है।