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बोर्ड परीक्षाओं में नकल करने व नकल करवाने पर होगी संपत्ति जब्त

बोर्ड परीक्षाओं में नकल करने व नकल करवाने पर होगी संपत्ति जब्त

 

 

– सरकार ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा नकल रोकने के लिए लागू किया राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980

 

 

शिक्षा फोकस, दिल्ली। यूपी में 16 फरवरी से 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं। यूपी-बिहार में बोर्ड की परीक्षाओं के दौरान नकल बड़ा मुद्दा रहा है। राज्यों में नकल को लेकर शिक्षा विभाग और सरकार को खूब खरी खोटी सुनाई जाती है। नकल को रोकने के लिए योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार के इस कदम से मुन्नाभाइयों और उनका साथ देने वालों की नींद उड़ जाएगी।

दरअसल, यूपी में अब 10वीं और 12वीं की परीक्षा के दौरान नकल करते हुए पकड़े जाने पर एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 ) लगेगा। साथ ही नकल करने और इसमें मदद करने वालों की संपत्ति भी जब्त कर ली जाएगी। सामूहिक नकल की जानकारी मिलने पर फौरन परीक्षा को निरस्त करने के साथ ही परीक्षा केंद्र को भी डिबार कर दिया जाएगा। प्रशन पत्र रखने के लिए स्कूल में एक अलग से स्ट्रॉन्ग रूम बनाया गया है।

राज्य के महानिदेशक माध्यमिक शिक्षा विजय किरण आनंद ने बताया कि प्रदेश सरकार बच्चों के भविष्य को लेकर सचेत है। परीक्षाओं में नकल को रोकने और प्रशन पत्र को लीक होने से बचाने के लिए जिलाधिकारियों को कठोर कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। जिलाधिकारी ये पाता है कि नकल कराने वाला व्यक्ति कानून-व्यवस्था को भंग कर रहा है या आवश्यक सेवा की आपूर्ति में खलल डाल रहा है तो उसे एनएसए के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है।

जिन स्कूलों के खिलाफ एसटीएफ ने नकल से संबंधित रिपोर्ट दी थी। उन स्कूलों में परीक्षा केंद्र नहीं बनाए गए हैं। स्ट्रॉन्ग रूम में कैमरे लगाए गए हैं। परीक्षा केन्द्रों की निगरानी के लिए लखनऊ में एक कंट्रोल रूम भी बनाया जा रहा है। सभी जिलों के कंट्रोल रूम लखनऊ में बने मास्टर कंट्रोल रूम के साथ जुड़े होंगे। नकल की सूचना मिलने पर तुरंत परीक्षा अधिकारियों को परीक्षा केंद्रों में भेजा जाएगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (national security act) के प्रावधान के तहत अगर सरकार को ऐसा लगता है कि किसी भी व्यक्ति देश के लिए खतरा है तो उसे हिरासत में लेकर गिरफ्तार भी किया जा सकता है। रासुका के तहत किसी संदिग्ध व्यक्ति को 3 महीने के लिए बिना जमानत के हिरासत में रखा जा सकता है। परिस्थितियों को देखते हुए इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है।

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